DEEG District jila darshan rajasthan

 DEEG District 

History Culture & Geography || राजस्थान के डीग जिले की सम्पूर्ण जानकारी👇👇👇

डीग जिला उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य का एक जिला है। इसकी सीमा उत्तर में हरियाणा , पूर्व में उत्तर प्रदेश , दक्षिण में भरतपुर जिला और पश्चिम में अलवर जिले से लगती है। डीग जिला भारत में विलय से पहले भरतपुर राज्य का हिस्सा था। भरतपुर राज्य के राजस्थान में विलय के बाद डीग भरतपुर जिले का हिस्सा बन गया।

भरतपुर जिले का अलग कर नया जिला डीग गठित किया गया है जिसका गुख्यालय डीग होगा। नवगठित डीग जिले में 9 तहसील ( डीग, जनूथर, कुम्हेर, रारह, नगर, सीकरी, कामां जुरहरा, पहाड़ी) है।


डीग जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

  • घोषणा-17 मार्च, 2023
  • मंत्रिमण्डल मंजूरी-04 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना जारी-06 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना लागू-07 अगस्त, 2023
  • स्थापना दिवस-07 अगस्त, 2023.
  • उद्घाटनकर्ता-विश्वेंद्र सिंह (पर्यटन मंत्री)
  • किस जिले को तोड़कर बनाया- भरतपुर
  • प्रथम कलेक्टर-शरद मेहरा
  • प्रथम पुलिस अधीक्षक-बृजेश ज्योति
  • संभाग-भरतपुर संभाग के अन्तर्गत
  • सीमा-02 जिले (भरतपुर एवं अलवर)
  • प्राचीन नाम-दीर्घापु

डीग जिले का सम्पूर्ण भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

  • डीग प्राचीन नाम :- दीर्घापुर (स्कंद पुराण में)
  • डीग का उपनाम (1) जलमहलों की नगरी, (2) फव्वारों की नगरी, (3) 84 कोसी बृज क्षेत्र
  • डोग बहिवर्ती जिला है, यह अन्तर्राज्यीय सीमा बनाता है, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा नहीं बनाता है।
  • डीग दो जिलों व दो राज्यों के साथ सीमा लगाता है।
  • पड़ौसी जिले (2): (1) अलवर, (2) भरतपु
  • पड़ौसी राज्य (2): (1) हरियाणा, (2)
  • उत्तर प्रदेश
परिचय
  • स्कंद पुराण के अनुसार डीग का प्राचीन नाम दीर्घपुर मिलता है।
  • औरंगजेब की मृत्युपरांत जयपुर नरेश राजा जयसिंह ने 1722 में ठाकुर बदनसिंह को डीग का राजा बना दिया तथा सवाई जयसिंह ने बदनसिंह को ब्रजराज की उपाधि दी।
  • .ठाकुर बदनसिंह जाट (सिनसिनवार कौम गौत्र के) के शासन काल में ही कुम्हेर, डीग एवं भरतपुर के किलों का निर्माण करवाया गया।
  • ठाकुर बदनसिंह की मृत्युपरांत महाराजा सूरजमल जाट ने अपने राज्य का विस्तार इटावा, नारनोल, वल्लभनगर तथा तोहनगीर तक कर दिया।
  • कालान्तर में जवाहर सिंह की मृत्युपरांत भरतपुर जाट शक्ति का पतन होने लगा। मोहम्मद अली
  • की मेव के नेतृत्व में भरतपुर एवं अलवर के मेव किसानों ने 1932 ई. में मेव किसान आंदोलन चलाया।
रूपारेल नदी/लसवारी नदी/वराह नदी
  • उद्गम – उदयनाथ की पहाड़ियाँ (थानागाजी • तहसील) जिला- अलवर।
  • प्रवाह क्षेत्र 3 जिले (अलवर, डोग, भरतपुर)
  • रूपारेल नदी पर सीकरी बाँध, डीग जिले में बना हुआ है।
  • . रूपारेल नदी के किनारे डीग के जलमहल स्थित है।
  • रूपारेल नदी पर भरतपुर में मोती झील है।
  • मोती झील का निर्माण महाराजा सूरजमल ने करवाया। मोती झील को भरतपुर की जीवन रेखा कहा जाता है। यह झील नीलहरित शैवालों के लिए प्रसिद्ध है।
  • रूपारेल नदी के किनारे, नोह सभ्यता भरतपुर में है। यह लौहयुगीन सभ्यता है।
  • रूपारेल की सहायक नदी कुकुंद है जिस पर बंध बारेठा बाँध (भरतपुर) बना है।
  • गुड़गाँव नहर डीग जिले के जुरहरा तहसील से प्रवेश करती है जो राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना है।
  • सफेद संगमरमर की मूर्तियां बनाने का काम डीग जिले के सीकरी व कामां तहसीलों में होता है।
  • सन् 1985 में डीग गोलीकांड (भरतपुर के महाराजा मानसिंह की मृत्यु) के कारण राजस्थान के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने 23 फरवरी 1985 को इस्तीफा दिया था।
बागड़ी
  • भेड़ की नस्ल
  • यह नस्ल राजस्थान के मेवात क्षेत्र में पायी जाती हैं।
डीग के जलमहल – ( डीग जिला )
  • डीग मत्स्य संघ का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है।
  • यह नगर भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है।
  • डोग को जलमहलों की नगरी भी कहा जाता है।
  • डीग के जल महलों का निर्माण (1755 ई. में शुरुआत) बदनसिंह जाट (चूड़ामन का भतीजा)
  • निर्माण पूर्ण (1755 से 1763 के मध्य) महाराजा सूरजमल जाट
  • नोट:- डीग के जल महलों में सबसे बड़ा व भव्य महल – गोपाल भवन
अन्य महल डीग में
  • किशन भवन, नन्द भवन, सूरज भवन, सावन- भादो महल, कुश्ती महल, केशव भवन, हरिदेव भवन
  • राजस्थान में नौटंकी के जनक डोग) भूरीलाल (जिला-
  •  कामां (डोग) के नत्थराम और गिरीराज प्रसाद कामा की नौटंकी मण्डली विख्यात रही है।
  • वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
  • .अन्य गिरीराज नाथूलाल कामां (जिला-डीग)
  • – इन्होंने नौटंकी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी। •
  • मेवात क्षेत्र में उप्पाली ख्याल, भुतनी ख्याल, हुंरगे • ख्याल आदि भी प्रचलित हैं।
  • डीग में हुरगो का आयोजन होली के बाद पंचमी से लेकर अष्टमी तक किया जाता है।
  • हुरगा महोत्सव में स्त्री पुरुष स्वांग धारण करते हैं।
  • डीग क्षेत्र में रासलीला, कृष्णलीला, स्वांग और सवारी नाट्य भी प्रचलित है। इस क्षेत्र में जुरहरा • (डोग) नामक स्थान की रामलीला सवारी प्रसिद्ध है। ब्रज महोत्सव डीग फरवरी माह होली के अवसर पर आयोजित। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण • लीला के आयोजन के लिए प्रसिद्ध स्थान डीग है।
  • ब्रज यात्रा मेला डीग
  • नोट:- डोग, भगवान कृष्ण के 84 कोस बृज क्षेत्र
  • के परिक्रमा पथ मथुरा-डीग मार्ग पर स्थित है।
  • बम नृत्य (बम रसिया)
  •  बम नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है।
  • यह क्षेत्रीय नृत्य है। बम का अर्थ बड़ा नगाड़ा
  • क्षेत्र डीग, भरतपुर, अलवर (मेवात क्षेत्र)
  • होली पर पुरुषों द्वारा समूह में नृत्य किया जाता है
  • तथा रसिया नामक गीत गाया जाता है।
  • बम नृत्य में नगाड़ा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  • महाराजा सूरजमहल (जाटों का प्लूटो)
  • सूरजमहल एकमात्र ऐसे राजा थे, जो दोनों हाथों से तलवार एवं तीर चलाना जानते थे।
  • यह जाट साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजा थे।
  • 1733 ई. में सूरजमल ने भरतपुर दुर्ग का निर्माण करवाया।
  • सूरजमल ने डीग में कृष्ण विलास महल का निर्माण करवाया था।
  • महाराजा सूरजमल के समय पानीपत का तीसरा युद्ध मराठों व अहमद शाह अब्दाली के मध्य हुआ। महाराजा सूरजमल ने 12 जून, 1761 ई. को आगरा किले पर अधिकार कर लिया।
  • एक अफगान सैनिक सैयद मुहम्मद खान बलूच ने गाजियाबाद के आसपास राजा सूरजमहल की हत्या कर दी।
  • भूतपूर्व मत्स्य संघ में अब 6 जिले : (1)
  • अलवर, (2) भरतपुर, (3) धौलपुर, (4) करौली, (5) डीग, (6) खैरथल-तिजारा। (आंशिक कोटपुतली-बहरोड़ जिला )
  • राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में मत्स्य संघ का गठन हुआ।
  • अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर को मिलाकर 28 फरवरी 1948 को मत्स्य संघ का गठन किया गया।
  • मत्स्य संघ का उद्घाटन 18 मार्च 1948 (भरतपुर के लौहागढ़ दुर्ग में)
  • उद्घाटनकर्ता – एन.वी. गोडगिल मत्स्य संघ का नामकरण के.एम. मुंशी ने किया।
  • मत्स्य संघ की वार्षिक आय 184 लाख
  • राजधानी अलवर
  • प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर)
  • राजप्रमुख उदयभान सिंह (धौलपुर)
  • उपराज प्रमुख गणेश पाल देव (करौली)
  • उप प्रधानमंत्री जुगल किशोर चतुर्वेदी (भरतपुर)
  • नोट :- जुगल किशोर चतुर्वेदी को राजस्थान का
  • नेहरू कहा जाता है। मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय 5वें चरण (15 मई, 1949) में हुआ।
  • गो वंश प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र
  • (1) कुम्हेर प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र डोग
  • केन्द्रीय पशु प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र – सूरतगढ़ (2)(गंगानगर)
  • (3) नागौर प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र नागौर
  • डग अनुसंधान केन्द्र – झालावाड़ ( 4)
  • (5) गो वत्स परिपालन केन्द्र नोहर (हनुमानगढ़

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सावन-भादो महल डीग
  • सावन भादो झील-अचलगढ़ (सिरोही)
  • सावत भादो नहर परियोजना कोटा
  • • सावन भादो झरना जोधपुर
  • • सावन भादो कढाईयां देशनोक (बीकानेर)
  • कुम्हेर
  • अन्य स्थल डीग में
  • . चार बाग, रूप सागर, नूरजहां का झूला, उद्यान भवन (सफेद बालू पत्थरों से निर्मित), देवल महल (काले संगमरमर से निर्मित)
  • कुम्हेर की स्थापना 1704 में एक जाट सरदार कुम्भ ने की।
  • कुम्हेर दुर्ग – कुम्हेर भरतपुर शासकों की राजधानी रहा।
  • किशोरी महल – कुम्हेर (डोग)
  • महाराजा सूरजमल ने मुगलों की सेना को इसी स्थान पर हराया (1754 ई.)।
  • रारह तहसील (डीग)
  • नोट :- जेम्स फर्ग्यूसन ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ इण्डियन एवं ईस्टर्न आर्किटेक्चर में डीग के
  • राजस्थान की प्रथम कैशलैस पंचायत बनी।
  • रारह वर्तमान में तहसील है।
  • कामां महाभारत काल से भी पूर्व स्थापित नगर था।
  • ब्रज मण्डल के 12 पवित्र स्थलों में से एक।
  • इंपीरीयल गजेटीयर में कामां नाम कामसैन नामक शूरसेन शासक से जोड़ा गया है।
  • कामां (जिला-डीग)
  • स्थापत्य के नमूनों का उत्कृष्ट कोटी का बताया। डीग के जलमहल अपनी विशालता, शिल्प सौन्दर्य
  • तथा मुगल शैली के सुन्दर उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। नोट :- डीग के जलमहलों में स्थित सिंहासन काले संगमरमर से निर्मित है।
  • डीग का किला
  • निर्माण 1730 ई. में महाराजा सूरजमहल जाट ने। •
  • महाराजा सूरजमल को जाटों का प्लूटों तथा अफलातून
  • कहा जाता था। नोट :- आगरा किले से लूटी हुई तोपें डीग के किले में स्थित है।
  • डीग पैलेसे संग्रहालय-डीग
  • जहाँगीर के महल-डीग जिला
  • मुगल मीर बख्शी मुहम्मद शफी की कब्र डीग के किले में।
  • नोट :- राजस्थान का पर्यटन की दृष्टि से महल
  • एवं फव्वारों के लिए प्रसिद्ध नगर/जिला डीग है।
  • नोट :- डीग भरतपुर के रियासती शासकों की प्राचीन राजधानी रही थी।
  • डीग का युद्ध
  • 13 नवम्बर 1804 को मेजर जनरल फ्रेजर एवं • यशवंतराव होल्कर (मराठा) के मध्य हुआ, महाराजा रणजीत सिंह ने मराठों का साथ दिया।
  • . युद्ध का परिणाम जाट व मराठा विजय
  • कुम्हेर (जिला-डीग)
  • प्राचीन नाम – कुबेरपुर
  • ब्रज यात्रा मेला – माघ कृष्ण द्वादशी से माघ शुक्ल द्वादशी।
  • 9वीं सदी के एक अभिलेख में इसका नाम काम्यक मिलता है।
  • गोकुल चन्द्र मंदिर कामां (डीग) वल्लभ संप्रदाय से संबंधित ।
  • मदन मोहन जी मंदिर कामां (डीग) वल्लभ सम्प्रदाय
  • गंगा दशहरा मेला कामां (डीग) ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी को मेला भरता है।
  • भोजन थाली का मेला – कामां (डीग) भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को मेला भरता है।
  • कामेश्वर महादेव मंदिर कामां (डीग) नोट: कामां (डीग) में एक प्राचीन काल के मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे चौरासी खम्भा
  • मंदिर कहा जाता है। कामां (डीग) लम्बे समय तक आमेर के कच्छवाहा शासकों के अधीन रहा था।
  • कृष्ण जन्मोष्टमी महोत्सव – डीग जिला
  • सांस्कृतिक विरासत
  • मेवात क्षेत्र में हाथरस शैली की नौटंकी प्रचलित
  • है। इसमें सारंगी, ढोलक, शहनाई, ढपली आदि




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