Didwana Kuchaman District jila darshan rajasthan

 Didwana Kuchaman District 

History Culture & Geography || राजस्थान के डीडवाना-कुचामन जिले की सम्पूर्ण जानकारी👇👇👇
 राजस्थान में वर्तमान में कुल 50 जिले हो गए हैं। राजस्थान के नए जिलों डीडवाना-कुचामन जिले का सम्पूर्ण भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय इस पोस्ट में जाने | नागौर जिले से अलग कर बनाए गए नए डीडवाना-कुचामन जिले में 6 उपखंड और 8 तहसीलें शामिल की गई, जबकि शेष बचे नागौर जिले में अब 7 उपखंड व 9 तहसीलें रहेंगी। नागौर और डीडवाना-कुचामन जिलों में विधानसभा की संख्या 5-5 रहेगी, लेकिन जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो नागौर जिला बड़ा रहेगा।

Didwana Kuchaman Pin Code

PlacePin CodeTalukDivisionDistrictState
Kuchaman Road,didwana Dist. Nagaur,raj341303DidwanaNagaurNagaurRAJAST

डीडवाना-कुचामन जिला भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

डीडवाना-कुचामन भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय इस प्रकार है –

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  • घोषणा-17 मार्च, 2023
  • मंत्रिमण्डल मंजूरी-04 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना जारी-06 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना लागू-07 अगस्त, 2023
  • स्थापना दिवस-07 अगस्त, 2023
  • उद्घाटनकर्ता-उदयलाल आँजना (सहकारिता मंत्री) किस जिले को तोड़कर बनाया-नागौर
  • प्रथम कलेक्टर-सीताराम जाट
  • प्रथम पुलिस अधीक्षक-प्रवीण नायक
  • संभाग-अजमेर संभाग के अन्तर्गत
  • सीमा-05 जिलों (नागौर, सीकर, चुरु, अजमेर, जयपुर- ग्रामीण) से लगती है।
  • उपनाम-1. शेखावाटी का सिंहद्वार
  • 2. शेखावाटी का तोरण द्वार

डीडवाना-कुचामन सम्पूर्ण भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

  • डीडवाना का नामकरण-डीडूशाह शासक के नाम पर। .
  • पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश के अर्द्धशुष्क भाग में स्थित जिला जो अरावली पर्वतमाला के पश्चिम में स्थित है।
  • सर्वाधिक खारे पानी की झीलों वाला जिला डीडवाना कुचामन।
  • डीडवाना कुचामन जिले में निम्नलिखित खारे पानी की झीलें –
  • डीडवाना झील, कुचामन झील एवं नावां झील
  • डीडवाना झील-डीडवाना कुचामन जिले में खारे पानी की झील है। इस झील को खाल्दा झील भी कहते हैं। इस झील से उत्पादित नमक में सोडियम सल्फेट की मात्रा अत्यधिक है अतः यह नमक खाने योग्य नहीं है। सोडियम सल्फेट का निर्माण- कागज बनाने में, चमड़ा साफ करने में किया जाता है। ब्राइन विधि (वाष्पीकरण से नमक तैयार किया जाता है) देवल-नमक बनाने वाली संस्था। देशवाल जाति द्वारा नमक तैयार किया जाता है।
  • राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स-डीडवाना में 1960 में स्थापित व 1964 में कार्य शुरु। यहाँ से नमक का निर्यात जापान को।
  • नांवा झील-डीडवाना कुचामन जिले के नावां कस्बे में यह खारे पानी की झील है। यहाँ मॉडल •
  • साल्ट फार्म है। यहाँ नमक परीक्षण प्रयोगशाला है।
  •  मेंथा नदी-यह डीडवाना कुचामन में प्रवाहित होती है। लुणवां जैन तीर्थ (नावां में) यह मेंथा नदी के • किनारे है। उद्गम मनोहरथाना की पहाड़ियां (शाहपुरा तहसील जयपुर ग्रामीण) प्रवाह क्षेत्र
  • 2 जिले (जयपुर ग्रामीण, डीडवाना-कुचामन) संगम • – सांभर झील ।
  • सांभर झील में सर्वाधिक लवणीयता मेंथा नदी लेकर आती है।’
  • इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर की कानासर वितरिका से डीडवाना • कुचामन को जलापूर्ति होती है।
  • पन्नालाल – बारूपाल लिफ्ट नहर से बीकानेर, नागौर व डीडवाना-कुचामन जिले लाभान्वित होते
  • हैं। इस लिफ्ट नहर का पूराना नाम-गजनेर लिफ्ट नहर है।
  • नमक उद्योग के लिए डीडवाना कुचामन प्रसिद्ध है।
  • खनिज-सफेद संगमरमर (मार्बल)। मकराना में कैलसाइट किस्म का मार्बल मिलता है। ताजमहल, विक्टोरिया महल मकराना मार्बल से निर्मित हैं।
  • वस्टेड स्पिनिंग मिल्स-लाडनूं।
  • बरुण गांव-परबतसरी बकरियों हेतु प्रसिद्ध
  • बाजवास गांव-बकरों के लिए प्रसिद्ध
  • एमरी स्टोन की चक्कियां-नावां, प्रथम इलेक्ट्रीफाइडडेडीकेटैंड परीक्षण ट्रेक – नावां में।
  • गोंद के पापड-कुचामन
  • गोल्डन पेंटिंग कुचामन की प्रसिद्ध
  • फूल बावड़ी-छोटी खाटू
  • बडू गाँव-डीडवाना कुचामन जिला चमड़े की जुतियों हेतु प्रसिद्ध है। मिट्टी निर्मित खिलौनों के लिए प्रसिद्ध है।
  • वीर तेजाजी पशु मेला-परबतसर (डीडवाना कुचामन) 1734 ई. से पूर्व पनेर (अजमेर) में लगता था। मारवाड़ के शासक अभयसिंह के समय इस मेले की शुरुआत परबतसर में हुई 1734 से।
  • श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक भरता है।. खारिया तालाब परबतसर (डीडवाना कुचामन)
  • कुराडा सभ्यता-परबतसर (डीडवाना कुचामन) खोज – 1934 ई. यह ताम्र युगीन सभ्यता है।
  • रानाबाई का मंदिर-हरवानां गांव (डीडवाना कुचामन) राजस्थान की दूसरी मीरा, पिता- रामगोपाल, माता-गंगाबाई, गुरु-चतुरदास महाराज।
  • कृष्ण भक्ति में लीन जीवित समाधि ली।
  • कर्माबाई-कालवां गाँव, मकराना तहसील (डीडवाना कुचामन) भगवान श्रीकृष्ण को हठ पूर्वक भोजन कराया। इन्हें शेखावटी की मीरा कहते
  • कैवाय माता मंदिर-किनसरिया गाँव, परबतसर (डीडवाना कुचामन) कैवाय शिलालेख से-सांभर के चौहान वंश की जानकारी। दहिया राजपूतों की कुलदेवी चौहान शासक-दुर्लभराज के सांमत
  • चच्चदेव ने निर्माण करवाया। सीढ़ियाँ-1121
  • इसे जागीरी दुर्गों का सिरमौर कहा जाता है।
  • निरंजनी संप्रदाय-संस्थापक संत हरिदास जी जन्म कापड़ोद (डीडवाना कुचामन)
  • प्रधान पीठ गाडावास गाँव (डीडवाना-कुचामन)
  • यह सगुण व निर्गुण दोनों भक्ति परंपरा से थे। संत हरिदासजी-कापड़ोद (डीडवाना कुचामन)
  • गुरु हड्‌बुजी सांखला। पूर्व में डाकू थे। इन्हें कलियुग का वाल्मीकि कहा गया। ग्रंथ-हरिपुरुष की वाणी, मंत्र राजप्रकाश ग्रंथ।
  • गिंगोली का मैदान-गिगोली गाँव, परबतसर तहसील, डीडवाना-कुचामन जिला। गिंगोली का युद्ध 13 मार्च, 1807। यह युद्ध मेवाड़ की राजकुमारी कृष्णा कुमारी को लेकर हुआ। यह युद्ध जयपुर के शासक जगतसिंह द्वितीय व जोधपुर के शासक मानसिंह के मध्य। (जगतसिंह द्वितीय विजय)।
  • खुण्डियास मेला-खुण्डियास (डीडवाना कुचामन) हासियावास (अजमेर) गांव की सीमा पर। राजस्थान का मिनी रामदेवरा कहा जाता है। मेला-भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी।
  • आचार्य तुलसी-लाडनू (डीडवाना कुचामन) तेरापंथी संप्रदाय के 9 वें आचार्य थे। इन्होंने ” अणुव्रत
  • आंदोलन” सरदार शहर (चुरु) से चलाया। जैन भारती डीम्ड विश्वविद्यालय-1971 लाडनूं में स्थापित।
  • पाड़ाय माता मंदिर-डीडवाना, सकराय माता मंदिर डीडवाना झील के किनारे ।
  • कुचामनी ख्याल-डीडवाना-कुचामन जिले का
  • प्रसिद्ध, प्रवर्तक-लच्छीराम। प्रसिद्ध कलाकार-
  • उगमराज, बंशीधर चूही।
  • कुचामन दुर्ग-कुचामन तहसील में।
  • गिरी दुर्ग, एरण दुर्ग की श्रेणी में। निर्माण ठाकुर •
  • जालिम सिंह द्वारा। ऐसा किला रानी जाए के पास हो सकता है लेकिर ठकुरानी जाए के पास नहीं।
  • डाबड़ा काण्ड (13 मार्च, 1947)-डाबडा गाँव (डीडवाना कुचामन में)
  • मारवाड रियासत से संबंधित ।
  • यहाँ के 700 पुष्करणा ब्राह्मण परिवारों को निकाल दिया।
  • मथुरादास माथुर की अध्यक्षता मे सम्मेलन हुआ। जिसमें अंग्रेजों द्वारा की गई गोली बारी में रूघाराम,
  • चुन्नीलाल, पन्नालाल इत्यादि किसान शहीद हुए।
  • बालमुकुंद बिस्सा-बिस्सास गाँव, पीलवा, परबतसर तहसील, डीडवाना-कुचामन
  • स्वतंत्रता सेनानी (मारवाड-प्रजामण्डल)
  • 19 जून 1942 को भूख हड़ताल के कारण जेल में शहीद ।
  • इन्हें राजस्थान का जतिनदास कहा जाता है।
  • 1934 में जोधपुर में जवाहर खादी भण्डार की स्थापना की।
  • लक्ष्मी नारायण झुला का मेला-श्रावण माह में मौलासर (डीडवाना कुचामन)
  • कुचामनी टकसाल-मारवाड रियासत की टकसाल
  • कुचामनी सिक्के ढाले जाते थे।
  • बैगानी हवेली, इनाणिया हवेली, गणपतराय हवेली, लाडनूं तहसील (डीडवाना कुचामन जिला)
  • महत्वपूर्ण तथ्य
  • मरोठ एवं कुचामन का गोल्डन पेंटिंग का काम प्रसिद्ध है।
  • मरोठ कपड़े की टुकड़ी के लिए भी प्रसिद्ध है।
  • रतनजोत कृषि फार्म – लाडनू (डीडवाना-कुचामन) इसका उपयोग बायोडीजल में होता है।
  • साबू सोडियम लिमिटेड – गोविन्द्री ग्राम (डीडवाना-कुचामन

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