Jodhpur District jila darshan rajasthan

 Jodhpur District History Culture & Geography || Jodhpur Jila Darshn

नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जोधपुर जिले के दर्शनीय स्थल व उसकी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, जोधपुर  जिले का मानचित्र, जोधपुर जिले जिले की सीमा, District Map ,  District History Culture & जोधपुर  जिले के बारे में इसका इतिहास व् जिला दर्शन  Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

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District विधान सभा सीटे

जोधपुर जिले में 3 विधानसभा सीटे है-

1.जोधपुर शहर

2. सरदारपुर 

3.सूरसागर

जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

*प्राचीन नाम-माण्डव्यपुर

*राव जोधा द्वारा स्थापना (1459 ई. में) की गई।

• राज्य का प्रथम विधि विश्वविद्यालय

• राजस्थान उच्च न्यायालय

• राजस्थान संगीत नाटक अकादमी

• राज्य का प्रथम राजीव गाँधी ट्यूरिज्म कन्वेंशन सेंटर

• घुड़ला महोत्सव

• राज्य का प्रथम रेडियो प्रसारण

• उम्मेद भवन (छीतर पैलेस)

• मेहरानगढ़ दुर्ग

  • जोधपुर राठौड़ों की प्राचीन राजधानी
  • 33 करोड़ देवी देवताओं की साल 
  • उत्तर भारत का एकमात्र रावण मन्दिर 
  • बौरपुरी का मेला-श्रावण के अन्तिम सोमवार को
  • नागपंचमी का मेला
  • स्टोन पार्क

 

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जोधपुर जिले के बारे में इसका इतिहास व जिला दर्शन Jodhpur Jila Darshn

जोधपुर जिले का परिचय :- 

  • इस जिले की स्थपना 12 माई, 1459 इ. में हुई थी ये राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है 
  • इसकी स्थापना राव जोधा ने की थी |
  • इसकी की जनसंख्या 26 लाख  के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान के दुसरे सबसे बड़े नगर की उपलब्धि दी गयी थी \
  • जोधपुर थार रेगिस्थान के मध्य अपने दुर्गो , किलो और अपने पर्यटन स्थलों कारण  प्रसिद्ध है  |
  • रजवाड़े मारवाड़ नाम की राजधानी हुआ करता था|

जोधपुर जिले उपनाम:- 

1.नीला शहर (BLUE CITY)

2.सूर्य नगरी (SUN CITY)

3.जोधना नगरी 

4.संस्कृतिक विरासत का शहर 

जोधपुर जिले प्राचीन नाम :-

1. मरु भूमि 

2. मारवाड़

3.मरुकांतर

जोधपुर जिले कला एंव संस्कृति:-

घुमर – मारवाड़ का प्रसिद्ध नृत्य 

घुडला नृत्य-छिद्रित मटकियों मे जलता हुआ दीपक रखकर महिलायों द्वारा किया जाता है।यह नृत्य शीतलाष्टमी से गणगौर तक चलता है।

 *वीरपुरी का मेला मण्डोर (जोधपुर) – श्रावण माह के अंतिम सोमवार को लगता है।

 

रावण मेला-मण्डोर (जोधपुर)

 

बेतमार गणगौर मेला

*जोधपुर का प्रसिद्ध है।

*इसे धींगा गवर भी कहते हैं। यह वैशाख कृष्ण तृतीया को लगता है।

 *इसमें विधवा तथा विवाहित महिलाएँ भाग लेती हैं।

 

• रणछोड़राय मंदिर जोधपुर

चामुण्डा माता का मंदिर-: महेरानगढ़ दुर्ग  में स्थित है।

निर्माण- राव जोधा द्वारा।

*चामुण्डा देवी मारवाड के राठौडों की आराध्य देवी थी।

*30 सितंबर 2008 को चामुण्डा माता मंदिर में हादसा हुआ।

*इसकी जांच के लिए ‘जसराज चौपड़ा आयोग’ का गठन किया गया।

 

जोधपुर चित्रकला-:

*इसकी शुरुआत मालदेव के शासन काल में हुई थी।

*जोधपुर चित्रकला का स्वर्णकाल जसवंतसिंह प्रथम व मानसिंह के काल को माना जाता है। इसमें पीले रंग की प्रधानता है। 

*प्रमुख चित्रकार-देवदास, गोविंददास, ईश्वरदास, माधोदास। 

*चित्र-ऊँट का चित्र, आम का चित्र, नायिका की आँखें बादाम के समान, नायक के लंबे कद, चौड़े कंधे एवं लंबी मुंछो के साथ चित्रित किया गया।

*सर्वाधिक प्रेम कहानियों का चित्रण, कुत्ते का चित्रण, झाड़ियों का चित्रण आदि।

*इस चित्र शैली मे रागमाला का चित्रण मानसिंह के समय वीर बिठ्ठलदास ने किया था।

 

जमीला बानो-

*जोधपुर की प्रसिद्ध मांड गायिका।

*राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की स्थापना जोधपुर मे 1957 ई. में हुई।

चौपासनी शोध संस्थान-

*जोधपुर स्थापना – 1950 में। अन्य नाम राजस्थान शोध संस्थान।

*यहाँ से परंपरा नामक पत्रिका का प्रकाशन होता है।

 

प्रमुख मकबरे एंव छतरिया :-

*प्रधानमंत्री की छतरी-जसवंत सिंह- प्रथम के प्रधानमंत्री राजसिंह कुम्पावत की छतरी (इस छतरी को ‘प्रधानमंत्री की देवल’ कहते हैं) बनी हुई है।

*जसंवत थड़ाजसवंत सिंह द्वितीय की छतरी।

निर्माण 1906 में सरदार सिंह द्वारा। इसे राजस्थान का ताजमहल कहते हैं।

 

कागा की छतरी-जोधपुर

सेनापति की छतरी-जोधपुर

जैसलमेर राणी की छतरी-जोधपुर

अजीत भवन-राज्य का पहला हेरिटेज होटल है।

पंचकुंड की छतरियां-जोधपुर

एक थंबा महल-मण्डोर निर्माण अजीत सिंह। इसको प्रहरी मीनार कहते हैं।

उम्मेद भवन पैलेस-निर्माण महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा अकाल राहत कार्यों के तहत निर्माण। इसे घड़ियों का संग्रहालय एवं छीतर पैलेस भी कहते हैं।

  • गुलाब खां का मकबरा-जोधपुर
  • गमता गाजी की मीनार-जोधपुर
  • गुलर कालुदान का मकबरा-जोधपुर
  • तमापीर की दरगाह-जोधपुर
  • पाल हवेली-जोधपुर
  • बड़े मियां की हवेली-जोधपुर
  • राखी हवेली-जोधपुर
  • पुष्य हवेली-जोधपुर

 

दर्शनीय स्थल-:

महेरानगढ़ दुर्ग -:

  • महेरानगढ़ किला जिसको महेरान किले के रूप में भी जाना जाता है |
  • पनरासो पनरोतड़े जेठ मास में जाण। सुदी ग्यारस शनिवार, मण्डयों गढ़ जोधाणा।
  • निर्माण- राव जोधा द्वारा 12 मई 1459 को।
  • यह चिड़ियाटूक पहाड़ी पर स्थित है।
  • उपनाम-मयूरध्वजगढ़ व गढ़ चिंतामणि।
  • इस दुर्ग की नींव मे राजाराम मेघवाल की बलि दी गई।
  • रुडयार्ड किपलिंग ने कहा था- “यह दुर्ग मानव द्वारा नहीं बल्कि देवताओं और परियों द्वारा निर्मित हैं।” टाइम्स पत्रिका ने इसे “एशिया का सर्वेश्रेष्ठ दुर्ग” कहा है

 

उम्मेद भवन पैलेस एंव संग्रालय :-

  • महाराजा उम्मेद सिंह ने 1943ई. में बनवाया था |
  • वर्तमान में इसके मालिक गज सिंह है |
  • इस पैलेस में ही प्रियंका चोपड़ा  व निक जोंस की शादी हुई थी|
  • इस पैलेस में एक संगालय भी स्थित है |
  • एडवर्डियन इसके आर्किटेक्ट थे | 

 

राव जोधा का फलासा :-

  • फलसा(aegle marmelose) शब्द एक पेड़ को संदर्हैभित है |
  • राव जोधा ने महेरानगढ़ दुर्ग के निर्माण के समय संत की सलाह पर प्रतिदिन एक फलसा ग्रहण किया था |
  • इसका निर्माण राव जोधा ने करवाया तह \

 

चामुंडा माता जी का मंदिर -:

  • चामुंडा माता की मूर्ति को 1460 में राव जोधा द्वारा किले में लाया गया था क्यूंकि देवी राजा की पसंदीदा थी |
  • इसके तुरंत बाद मेहरानगढ़ किले प्रसिद्ध मंदिर में स्थापित किया गया |
  • ये राठाठो की अराध्य देवी है |
  • चामुंडा देवी मंदिर भगवान् शिव और शक्ति का स्थान है |

Jodhpur Jila Darshn FAQ:

  • Q.1 उम्मेद भवन पैलेस एंव संग्रालय कब बनाए गए |
    • महाराजा उम्मेद सिंह ने 1943ई. में बनवाया था |
    • वर्तमान में इसके मालिक गज सिंह है |
    • Q.2 चामुंडा माता जी का मंदिर
      • चामुंडा माता की मूर्ति को 1460 में राव जोधा द्वारा किले में लाया गया था क्यूंकि देवी राजा की पसंदीदा थी |
      • इसके तुरंत बाद मेहरानगढ़ किले प्रसिद्ध मंदिर में स्थापित किया गया |

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