Kekri District
केकड़ी जिला दर्शन, केकड़ी जिला इतिहास
संस्कृति एवं भूगोल के महत्वपूर्ण जानकारी👇👇👇
अजमेर एवं टोंक जिलों का पुनर्गठन कर नया
जिला केकड़ी गठित किया गया है जिसका मुख्यालय केकड़ी होगा। नवगठित केकड़ी जिले में 6 तहसील (केकड़ी, सावर, भिनाय, सरवाड़, टांटोटी, टोडारायसिंह) हैं।
टोडारायसिंह को टोंक से जोड़ा गया है बाकी सभी को अजमेर से जोड़ा गया है।
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History
केकड़ी नगर को पहले कंकवती नगरी के नाम से जाना जाता था, जिसे राजकुमारी कंकवती
के नाम पर रखा गया था। इस नगर में स्थित केकड़ाधीश बालाजी के नाम पर इस शहर का नाम
केकड़ी पड़ा है।
सती माता कनकावती चौहान गुर्जर का इतिहास केकड़ी जिला (अजमेर) राजस्थान
भारत इतिहास के झरोखे से अजमेर जिले के केकड़ी नगर प्राचीन काल में कनकावती नगरी
कहलाता था । अजमेर मेरवाड़ा के इतिहास और प्राचीन साहित्य में उपलब्ध प्रमाणों के
अनुसार केकड़ी नगर सपादलक्ष भूमि में शामिल था। केकड़ी क्षेत्र पूर्व में घने
जंगलों से आच्छादित था। इसके चारों ओर बड़ाक जाटों और चौहान गुर्जरों के आठ
छोटे-छोटे गांव बसे हुए थे। यहां के निवासियों ने लूटमार व सुरक्षा से दुखी होकर
विक्रम संवत 940 में बसंत पंचमी के दिन भेरु और चामुंडा माता की स्थापना कर सम्मिलित रूप से
रहना शुरू कर दिया। कैसे बनी कनकावती सती चौहान गुर्जरों की संख्या अधिक होने के
कारण चौहान गुर्जरों के मुखिया राजा लखमा राव चौहान गुर्जर की पुत्री कनकावती के
नाम पर इसका नाम कनकावती नगरी रखा गया। विक्रम संवत 944 में मुगल शासक
सुबुक्तगीन ने धार (मध्य प्रदेश)से टोडा लौटते समय कनकावती नगरी के तालाब के निकट
अपना डेरा डाला। इस दौरान उसने चौहान गुर्जरों की मुखिया राजा लखमा राव चौहान
गुर्जर की पुत्री कनकावती घोड़े पर सुबह सैर करके आ रही थी। तब तुर्क क्रूर शासक
सुबुक्तगीन की बुरी नजर कनकावती चौहान गुर्जर पर पड़ी उसके रंग रूप और बलिष्ठ शरीर
पर मोहित होकर उस का हरण करने का प्रयास किया। लेकिन उसमें असफल हुआ। तुर्क क्रूर
शासक सुबुक्तगीन ने राजा लखमा राम गुर्जर को शादी का प्रस्ताव भेजा। बड़ाक जाटो व
चौहान गुर्जरों की राजा लखमा राव चौहान गुर्जर की अध्यक्षता में मीटिंग हुई जिसमें
सुबुक्तगीन द्वारा भेजा गया शादी का प्रस्ताव खारिज कर दिया था गुर्जरों व जाटों
ने राजा लखमा राव चौहान गुर्जर कनकावती चौहान गुर्जर के नेतृत्व में क्रूर शासक
सुबुक्तगीन पर हमला कर दिया। युद्ध में बड़ाक जाटो और चौहान गुर्जरों की विजय हुई
।और सुबुक्तगीन अपने सरदारों सहित जान बचाकर भाग गया। इसकी पुष्टि आज भी
सुबुक्तगीन के सिपहसलारो के मकबरो व तालाब की पाल के ऊपर चारभुजा मंदिर के पीछे
स्थित कनकावती सती के मंदिर से की जा सकती है। फिर बाद में कनकावती ने अपने पिताजी
राजा लखमा राव चौहान गुर्जर और बड़ाक जाटों के बीच में प्रस्ताव रखा कि मेरे कारण
आप लोगों का अपमान हुआ है। कनकावती का सतीत्व जाग चुका था और बाद में ज्यो ही वह
चलती गई गोबर के ठोकर मारती गई नारियल बनते गए कनकावती नगर के तालाब की पाल पर
नारियल के ऊपर बैठ गई। फिर कनकावती ने सूर्य भगवान से प्रार्थना की कि है सूर्य भगवान
मेरी रक्षा करें मैं सूर्य देव की साक्षी में सती होना चाहती हूं तो आप अग्नि
प्रज्वलित करें!
महत्वपूर्ण तथ्य
- सोकलिया – (टांटोटी तहसील – केकड़ी • जिला) गोडावण की शरणस्थली सोकलिया
गाँव में है। गोडावण का इंग्लिस नाम – ग्रेट इंडियन बस्टर्ड। राजस्थान का राज्य पक्षी।
नोट-गोडावण की प्रजनन स्थली – जोधपुर जंतुआलय ।
- मेहरकला गाँव – यह गाँव टोडारायसिंह तहसील
(केकड़ी जिला) में स्थित है। यह गाँव चटाई व टोकरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध
है।
- संत पीपा की गुफा – यह गुफा टोडारायसिंह (केकड़ी)
में स्थित है।
- लाला पठान का दुर्ग – यह टोडारायसिंह तहसील
(केकड़ी) में स्थित है।
- सावर का दुर्ग – यह केकड़ी जिले में स्थित
दुर्ग है।
- सरबाड का दुर्ग – यह केकड़ी जिले में स्थित
दुर्ग है।
- हाडी रानी की बावड़ी यह
टोडारायसिंह तहसील(केकड़ी जिला) में स्थित है।ऐसा माना जाता है कि
इसे 12वीं शताब्दी में बनाया गया
था।
- बुद्धसागर सरोवर – यह टोडारायसिंह (केकड़ी)में
स्थित है।
- सतलोज सरोवर – यह टोडारायसिंह (केकड़ी)में
स्थित है।
- अंगारों की होली – यह केकड़ी जिले में मनाई जाती
है। गोवर्धन पूजा के अवसर पर
केकड़ी में अंगारों की होली खेलने की परंपरा है।
- कोड़ामार होली – यह भिनाय तहसील (केकड़ी) की
प्रसिद्ध होली है।
- भवाई नृत्य के जनक इसके जनक
बाघोजी जाट (केकड़ी) है।
- बघेरा का तोरण द्वार – यह केकड़ी जिले में स्थित है।
- ख्वाजा फखरूद्दीन चिश्ती की
दरगाह – सरवाड (केकड़ी जिला)
- कालू मीर की मजार – सरवाड़ (केकड़ी)
- प्राणहेडा के बालाजी का मंदिर
यह मंदिर केकड़ी जिले में स्थित है।
- खुली जेल का निर्माण – इस जेल का निर्माण भिनाय (केकड़ी जिला) में किया
गया।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और
सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान – केकड़ी जिले में।
- भिनाय में आदिवासी भील राजा
मांदलिया भील का शासन था। करणसेन भीलराजा की हत्या कर वहाँ का शासक बना।
- राजस्थान की प्रथम सहकारी
समिति भिनाय में 1904-05 में स्थापित की गयी।
- मथुराधीश मंदिर सरवाड़ में
है।
- सरवाड़ दुर्ग भी केकड़ी में
है।
- केकड़ी क्षेत्र में ही मीणों
के नया गाँव में भगवान देवनारायण का अति प्राचीन मंदिर है। जहाँ पर प्रति
वर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी में विशाल मेला लगता है।
- शहर के पास ही बघेरा गाँव में
प्रसिद्ध वराह अवतार मंदिर देखने लायक है।
केकड़ी जिले में 5 उपखंड क्षेत्रों को
किया शामिल
दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत की ओर से हाल ही में बजट सत्र के दौरान अजमेर जिले के केकड़ी उपखंड को नया
जिला घोषित किया गया था। इसको लेकर शुक्रवार को परिसीमन भी जारी किया गया। इसके
बाद केकड़ी जिले की सारी स्थिति स्पष्ट हो गई। केकड़ी जिले में पांच उपखंड और 6 तहसीलों को शामिल किया
गया है। इसमें टोंक जिले से टोडारायसिंह उपखंड को तोड़कर केकड़ी जिले में मिलाया
गया है।
नए केकड़ी जिले में इन उपखंड क्षेत्रों को किया है शामिल
नवगठित केकड़ी जिले
में 5 उपखंड क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इनमें केकड़ी, सावर, भिनाय, सरवाड़, टोडारायसिंह शामिल है।
इसके अलावा 6 तहसीलों को भी शामिल किया है। जिनमें केकड़ी, सावर, सरवाड़, भिनाय, टोडारायसिंह और टाटोटी
तहसील को मिल गया है। वही केकड़ी जिले में टोंक जिले के देवली उपखंड को भी शामिल
किया जाना प्रस्तावित था। लेकिन विधायक के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया।
Kekri District विधान सभा सीटे
क्र.स नाम उपखण्ड तहसील
1 . केकड़ी केकड़ी
2 . सावर सावर
3. भिनाय भिनाय
4. सरवाड़ सरवाड़
टांटोटी
5. टोडारायसिंह टोडारायसिंह
केकड़ी जिला का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
- घोषणा-17 मार्च, 2023
- मंत्रिमण्डल
मंजूरी-04 अगस्त, 2023
- अधिसूचना
जारी-06 अगस्त, 2023
- अधिसूचना
लागू-07 अगस्त, 2023
- स्थापना
दिवस-07 अगस्त, 2023
- उद्घाटनकर्ता-प्रमोद
भाया, (खान एवं पेट्रोलियम मंत्री)
- किस
जिले को तोड़कर बनाया-अजमेर एवं टोंक जिले को
- प्रथम
कलेक्टर-खजान सिंह
- प्रथम
पुलिस अधीक्षक-राजकुमार गुप्ता
- संभाग-अजमेर
संभाग के अन्तर्गत
- सीमा-05 जिलों (अजमेर, ब्यावर, भीलवाड़ा, शाहपुरा एवं टोंक) से सीमा
लगाता हैं।
- केकड़ी
अंतवर्ती जिला है।
- केकड़ी पिन कोड – 305404
District History
Culture & Geography के महत्वपूर्ण जानकारी
राजस्थान की प्रथम
सहकारी बैंक
इसकी
स्थापना अक्टूबर 1905 में
भिनाय में हुई। यह केकड़ी जिले के भिनाय तहसील में स्थित है।
बनास नदी केकड़ी जिला –
- पूर्णतः राजस्थान में प्रवाहित होने वाली सबसे .
- लंबी नदी है। इसका उद्गम खमनौर की पहाड़ियाँ
(राजसमंद)
- से होता है।
- बनास नदी की लम्बाई 480-512 किमी है।
- इस नदी पर 3 बाँध तथा 4 जलप्रपात बने हुए हैं। संगम – रामेश्वरम् (सवाईमाधोपुर) में चंबल नदी में मिल
जाती है।
बनास नदी 07 जिलों में प्रवाहित होती है- राजसमंद, चित्तौड़, भीलवाड़ा, शाहपुरा, केकड़ी, टोंक, सवाईमाधोपुर
केकड़ी जिला में
खनिज के बार में –
- खनिज – तामडा, गारनेट, रक्तमणी आदि खनिजों
- का उत्खनन सरवाड़ (केकड़ी)
में होता है।
सावर
(केकड़ी जिला) यहाँ पर सफेद मार्बल, काला
ग्रेनाइट व क्वार्टजाइट, फेल्सफार
निकलते हैं।
जनसांख्यिकी
सन् 2001 की
जनगणना के अनुसार केकड़ी की कुल जनसंख्या 34,129 थी।
नगर में एक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, एक
सरकारी अस्पताल और निजी नर्सिंग होम उपस्थित हैं।
मंदिर
यहाँ पर स्थित केकड़ाधीश बालाजी के नाम पर इस शहर का
नाम केकड़ी पड़ा हैं । पारा गांव में, भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर
स्थित है। श्री शांतिनाथ भगवान का जैन मंदिर बागहेरा
दिगंबर गांव में स्थित है। कई अन्य मंदिर हैं, जैसे कि चारभुजा
मंदिर, बिजनान माता मंदिर, शांतिनाथ जी डिगंबर जैन मंदिर, लक्ष्मीननाथ जी
मंदिर, शिव मंदिर, काकरिश्शे मंदिर, और मेहंदीपुर बालाजी मंदिर। केकड़ी क्षेत्र से 12 किलोमीटर दूर मीणो के नयागाॅव में भगवान देवनारायण का प्राचीन मन्दिर है
जहा पर प्रति वर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी मे विशाल मेला लगता है। इस दिन आने वाले
श्रधालुओं को पवित्र प्रसादी के रूप में भोजन करवाया जाता हैं। और मन्नते माँगते
है। बघेरा गांव में प्रसिद्ध वराह अवतार मंदिर देखने लायक है। राजस्थान के अजमेर
जिले में स्थित बघेरा गांव में श्री वराह मंदिर। बघेरा गांव केकड़ी कस्बे से 15 किलोमीटर दूर है जो अजमेर कोटा रोड पर स्थित है। यह वराह (अंग्रेजी में
जंगली सूअर) का मंदिर है,पारा गांव में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर स्थित है।
श्री शांतिनाथ भगवान का जैन मंदिर बघेरा दिगंबर गांव
में स्थित है।
इसमें कई अन्य मंदिर हैं जैसे चारभुजा मंदिर, बिजासन माता मंदिर, शांतिनाथ जी दिगंबर
जैन मंदिर, लक्ष्मीनाथ जी मंदिर, शिव मंदिर, केकराधीश मंदिर और
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर। केकड़ी क्षेत्र से 12 किमी दूर मीनाओं का
नयागांव में भगवान देवनारायण का प्राचीन मंदिर है, जहां हर वर्ष
भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को विशाल मेला लगता है। नायकी माता राजस्थान की एक देवी का
नाम भी है। आप नायकी माता जी के वीडियो फेसबुक पेज नायकी माता जी केकड़ी
जिला.अजमेर, राजस्थान पर पा सकते हैं।
जो भगवान विष्णु के 9 अवतारों में से एक
अवतार है। यह
मूर्ति इसी मंदिर से लगी झील में मिली थी। यह मूर्ति 600 वर्ष से अधिक पुरानी
है और यह मंदिर 400 वर्ष
से भी अधिक पुराना है, क्योंकि
इस मंदिर का निर्माण बाद में किया गया था। यह मूर्ति पानी के अंदर थी और बेगू के
रावत को इस क्षेत्र में अपने अभियान के दौरान मिली थी। यह मंदिर शुद्ध राजपूत
वास्तुकला में निर्मित है। इस
मंदिर का निर्माण बेगू के रावत ने करवाया था। बेगू मेवाड़ राजघराने के प्रमुख सरदारों
में से एक है और 16 बड़े
और प्रथम श्रेणी के सरदारों के अंतर्गत आता है। यह अपनी तरह का
एकमात्र मंदिर और मूर्ति है जो भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। इस प्रतिमा की पीठ पर 500 देवी-देवताओं की
नक्काशी है, जिसके
शीर्ष पर शेषनाग और नीचे की ओर उसका फन है। यह अनोखी और बेहद खूबसूरत मूर्ति और
मंदिर में से एक है और देखने लायक है।
केकड़ी से 30 किमी दूर देवमण्ड गांव में देवनारायण भगवान का मंदिर देखने लायक है।
My kekri
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